अगले पांच वर्षों में हमें हमारी 5 करोड़ जवान बेटियों के हाथ पीले करने हैं.
अभी आज की परिस्थिती में हमारी बेटी के सुरक्षित भविष्य की लेश मात्र संदिग्धता में हम सिहर जाते हैं; परन्तु मजबूरन उन्हें असम्मानजनक वातावरण में आवागमन करता हुआ पाते हैं.
अधिकतम हफ्ते भर के विवाह कार्यक्रम हैतु; हमारे घर आने वाले मेहमानों के लिये, नवनिर्माण कराकर आर्थिक रूप से दुबले होने के रास्ते पर अग्रसर हो जाते हैं.
बहुत सारा धन लगाकर, कभी किराये से हॉल या हाटेल लेकर एक पाप काटने जैसे माहौल में; अधिकतम 30-40 घण्टे में हमारी विश्व सम्मान्य संस्कृति की सबसे कीमती परम्परा से निजात पाकर, राहत की सांस लेते हैं.
हमारी इस बैचारगी का फायदा उठाकर दारूडे मजदूरों से लेकर महाजन तक, घोड़ी से लेकर टेण्ट वाले तक अपनी अपनी रोटी सेंकते हैं.
अनिवार्यतया एक सम्मानजनक वैवाहिक समारोह हैतु चार मुख्य मुद्दे होते हैं:
1 स्वच्छ एवम् समृद्ध स्थल,
2 स्वादिष्ट व्यंजन,
3 सहभागियों हैतु उपहार,
4 वरवधु के नवीन परिवारिक जीवनयापन हैतु आवश्यक दीर्घौपयोगी साज-सामग्रि.
इनके अलावा पारिस्थतिकी अनुकूल ढेर सी छोटी छोटी चीजें भी लगती हैं; जो प्राय: हमारे बजट को, देश के बजट जैसा घाटे का सौदा बना देती हैं.
पर यहां कौई विश्वबैंक मदद करता है क्या?
इस सारे कार्यक्रम में जिस सबसे ज्यादा बजट पर प्रभावकारी मुद्दे को हम प्राय: पकड़ ही नहीं पाते वो है "समय".
हम जभी निकलते हैं खरीद के लिये, ठीक तभी मंहगाई अपना घूघंट उठाकर, ढिटाई से हमारी जेब साफ कर डालती है.
मजेदार बात यह कि जो संस्था सदियों से व्यवसायों को जिन्दा रखे हुए है, समाज को बांधे हुए है, उसके वित्त पौषण हैतु शायद ही कौई बैंक आगे आता हो सिवा ईलेंक® के.
इस परिस्थिती का मुकबला कर, हमारी हर बेटी को सम्मानजनक, सुरक्षित एवम् मजबूत आधार मुहैया करने का बीड़ा; हम उठा रहे हैं.
हम आज ही अगले पांच वर्ष की आयोजना कर मंहगाई रूपी दुम को; सदा सदा के लिये हमारी बेटी के शब्दकौष से काटकर बाहर करेंगे.
नीचे के वीडियो से मंहगायी की अंत्येष्ठी कीजिये आज ही: